Monday, April 21, 2014

हमको किसी से कोई शिकवा नही रहा किसी के किसी बात का कोई गिला नही रहा ये तो वक्त का था असर जो जुबा फिसल गया वर्ना मिरी फसाद का कोई मसला नही रहा। ..... कोई आज मेरी बैचैनी को समझे मेरे दिल की धड़कन को थोडा समझे कैसी ये उलझन भरा मेरे मन में मेरे पास आ कर जरा मुझको समझे दिल की वो बातो को दिल से वो समझे मेरी हर ख़ुशी को अपना वो समझ रातो को नींदों और ख्वाबो में आये मेरी जिंदगी को अपना वो समझे आँखों की आंसू की कीमत को समझे लवो की हंसी को अमानत वो समझे पग पग वो चल कर मेरे साथ एक पल मेरे इश्क की वो इनायत को समझे ।।।कोई आज मेरी बैचेनी को समझे।.....

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