हमको किसी से कोई शिकवा नही रहा
किसी के किसी बात का कोई गिला नही रहा
ये तो वक्त का था असर जो जुबा फिसल गया
वर्ना मिरी फसाद का कोई मसला नही रहा।
.....
कोई आज मेरी बैचैनी को समझे
मेरे दिल की धड़कन को थोडा समझे
कैसी ये उलझन भरा मेरे मन में
मेरे पास आ कर जरा मुझको समझे
दिल की वो बातो को दिल से वो समझे
मेरी हर ख़ुशी को अपना वो समझ
रातो को नींदों और ख्वाबो में आये
मेरी जिंदगी को अपना वो समझे
आँखों की आंसू की कीमत को समझे
लवो की हंसी को अमानत वो समझे
पग पग वो चल कर मेरे साथ एक पल
मेरे इश्क की वो इनायत को समझे ।।।कोई आज मेरी बैचेनी को समझे।.....
Monday, April 21, 2014
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