अगर दो कदम तुम मेरे साथ चलते
मुझे मेरी मंजिल मिल ही तो जाती ।
देते अगर तुम थोडा सा सहारा
मेरी जिंदगी यूं सवर ही तो जाती।
सफ़र में अगर तुम अपना बनाते
दिल को तसल्ली मिल ही तो जाती।
आती अगर तुझको मेरी याद एक पल
निदो में भी तुझसे मिल ही तो जाते।
अगर चाँद बन कर उजाला तुम करते
मेरी जिंदगी के सितारे चमकते ।
रहते अगर तुम मेरी धड़कनो में
बहारो में रंगत मिल ही जाती।
ना करते अगर तुम सितम मेरे दिल पर
तो मोहब्बत हमारी मिल ही तो जाती।
ज्ञानेश मौर्या’''''
Sunday, May 18, 2014
अगर दो कदम तुम मेरे साथ चलते
मुझे मेरी मंजिल मिल ही तो जाती ।
देते अगर तुम थोडा सा सहारा
मेरी जिंदगी यूं सवर ही तो जाती।
सफ़र में अगर तुम अपना बनाते
दिल को तसल्ली मिल ही तो जाती।
आती अगर तुझको मेरी याद एक पल
निदो में भी तुझसे मिल ही तो जाते।
अगर चाँद बन कर उजाला तुम करते
मेरी जिंदगी के सितारे चमकते ।
रहते अगर तुम मेरी धड़कनो में
बहारो में रंगत मिल ही जाती।
ना करते अगर तुम सितम मेरे दिल पर
तो मोहब्बत हमारी मिल ही तो जाती।
ज्ञानेश मौर्या’''''
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