नींद से पागल जब होते है
खुद पर काबू खो देते है
गर्मी सर्दी चट्टानों को
अनदेखा फिर कर देते है,
एक उजाले दिन में भी
अँधियारा बन जाते है
आँखों की खुशियों पे ताले
बन कर खुद रह जाते है
दर्द भरे लम्हों में जब
आँखों में आंसू आते है
चुपके -चुपके ,धीरे-धीरे
नींदों में खो जाते है
कभी किसी के गम को काटे
कभी ख़ुशी बन जाते है
एक अकेले तन्हाई में
रिश्ता खूब निभाते है
नींदों का भी क्या कहना
जब चाहे आ जाते है
मतवाली आँखों में बेड़ी
जब चाहे दे जाते है।
मौर्या ज्ञानेश।।।।
Wednesday, June 11, 2014
नींद
नींद से पागल जब होते है
खुद पर काबू खो देते है
गर्मी सर्दी चट्टानों को
अनदेखा फिर कर देते है,
एक उजाले दिन में भी
अँधियारा बन जाते है
आँखों की खुशियों पे ताले
बन कर खुद रह जाते है
दर्द भरे लम्हों में जब
आँखों में आंसू आते है
चुपके -चुपके ,धीरे-धीरे
नींदों में खो जाते है
कभी किसी के गम को काटे
कभी ख़ुशी बन जाते है
एक अकेले तन्हाई में
रिश्ता खूब निभाते है
नींदों का भी क्या कहना
जब चाहे आ जाते है
मतवाली आँखों में बेड़ी
जब चाहे दे जाते है।
मौर्या ज्ञानेश।।।।
नींद से पागल जब होते है
खुद पर काबू खो देते है
गर्मी सर्दी चट्टानों को
अनदेखा फिर कर देते है,
एक उजाले दिन में भी
अँधियारा बन जाते है
आँखों की खुशियों पे ताले
बन कर खुद रह जाते है
दर्द भरे लम्हों में जब
आँखों में आंसू आते है
चुपके -चुपके ,धीरे-धीरे
नींदों में खो जाते है
कभी किसी के गम को काटे
कभी ख़ुशी बन जाते है
एक अकेले तन्हाई में
रिश्ता खूब निभाते है
नींदों का भी क्या कहना
जब चाहे आ जाते है
मतवाली आँखों में बेड़ी
जब चाहे दे जाते है।
मौर्या ज्ञानेश।।।।
नींद से पागल जब होते है
खुद पर काबू खो देते है
गर्मी सर्दी चट्टानों को
अनदेखा फिर कर देते है,
एक उजाले दिन में भी
अँधियारा बन जाते है
आँखों की खुशियों पे ताले
बन कर खुद रह जाते है
दर्द भरे लम्हों में जब
आँखों में आंसू आते है
चुपके -चुपके ,धीरे-धीरे
नींदों में खो जाते है
कभी किसी के गम को काटे
कभी ख़ुशी बन जाते है
एक अकेले तन्हाई में
रिश्ता खूब निभाते है
नींदों का भी क्या कहना
जब चाहे आ जाते है
मतवाली आँखों में बेड़ी
जब चाहे दे जाते है।
मौर्या ज्ञानेश।।।।
Sunday, May 18, 2014
अगर दो कदम तुम मेरे साथ चलते
मुझे मेरी मंजिल मिल ही तो जाती ।
देते अगर तुम थोडा सा सहारा
मेरी जिंदगी यूं सवर ही तो जाती।
सफ़र में अगर तुम अपना बनाते
दिल को तसल्ली मिल ही तो जाती।
आती अगर तुझको मेरी याद एक पल
निदो में भी तुझसे मिल ही तो जाते।
अगर चाँद बन कर उजाला तुम करते
मेरी जिंदगी के सितारे चमकते ।
रहते अगर तुम मेरी धड़कनो में
बहारो में रंगत मिल ही जाती।
ना करते अगर तुम सितम मेरे दिल पर
तो मोहब्बत हमारी मिल ही तो जाती।
ज्ञानेश मौर्या’''''
अगर दो कदम तुम मेरे साथ चलते
मुझे मेरी मंजिल मिल ही तो जाती ।
देते अगर तुम थोडा सा सहारा
मेरी जिंदगी यूं सवर ही तो जाती।
सफ़र में अगर तुम अपना बनाते
दिल को तसल्ली मिल ही तो जाती।
आती अगर तुझको मेरी याद एक पल
निदो में भी तुझसे मिल ही तो जाते।
अगर चाँद बन कर उजाला तुम करते
मेरी जिंदगी के सितारे चमकते ।
रहते अगर तुम मेरी धड़कनो में
बहारो में रंगत मिल ही जाती।
ना करते अगर तुम सितम मेरे दिल पर
तो मोहब्बत हमारी मिल ही तो जाती।
ज्ञानेश मौर्या’''''
Monday, April 21, 2014
हमको किसी से कोई शिकवा नही रहा
किसी के किसी बात का कोई गिला नही रहा
ये तो वक्त का था असर जो जुबा फिसल गया
वर्ना मिरी फसाद का कोई मसला नही रहा।
.....
कोई आज मेरी बैचैनी को समझे
मेरे दिल की धड़कन को थोडा समझे
कैसी ये उलझन भरा मेरे मन में
मेरे पास आ कर जरा मुझको समझे
दिल की वो बातो को दिल से वो समझे
मेरी हर ख़ुशी को अपना वो समझ
रातो को नींदों और ख्वाबो में आये
मेरी जिंदगी को अपना वो समझे
आँखों की आंसू की कीमत को समझे
लवो की हंसी को अमानत वो समझे
पग पग वो चल कर मेरे साथ एक पल
मेरे इश्क की वो इनायत को समझे ।।।कोई आज मेरी बैचेनी को समझे।.....
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