और शिक्षा दोनों एक दुसरे से इस प्रकार से जुड़े है जिस प्रकार से आत्मा और शरीर इतना कोमल सम्बन्ध होते हुए भी शिक्षक और शिक्षा का अर्थ बदलता जा रहा है । शिक्षक आज शिक्षक नही रहे और शिक्षा का मतलब ज्ञान नही रहा इस बदलाव में बदलना स्वाभाविक है । यहीं कारन है की पैसे के लालच ने शिक्षक को भी b लालची दिया है । स्वार्थ ने आज के शिक्षक को हद तक गिरा कर रख दिया है । कालेजो, विद्यालयों एवम में आज शिक्षक केवल समय काटने के लिए जाता है। और जाने के बाद सिर्फ़ राजनीती करता है , वह भी बच्चो के उपर अध्यापको के उपर और लड़कियों के ऊपर आज के शिक्षक क्लास के बच्चो में फ़ुट डालो राज्य करो की रणनीत अपना लिया है , लेकिन इसके साथ-साथ लड़को की अपेक्षा लड़कियों से ज्यादा प्रभावित दीखता है ,यही karan है की ,शिष्या और गुरु जी के बीच प्रेम सम्बन्ध भी तेजी के साथ विकसित हुआ है , है नवयुवक शिक्षक लड़कियों की खूबसूरती में इतने kho gaye hai की, ये भी पूछने से नही हिचकते की तुम्हारी पसंद क्या है इससे भी बदतर स्थिति हो गई है की , छोटे-छोटे कामो के लिए लड़कियों को अपने पास बुला लेते है ।
Tuesday, April 21, 2009
Sunday, April 5, 2009
ये बेटियाँ
ये बेटियाँ तो चमन की फूल होती है
किसी की सर की ताज तो किसी के चरणों की धूल होती हैं
खिलखिलाती इनकी बोली koyal ki kook hotin hai
ना जाने क्यों फिर भी हर किसी के लिए शूल होती है
मासूम फूलो की तरह कोमल चेहरा ,मोम की तरह कोमल हिरदय बर्फ की तरह शीतल और झील जैसी आखों के होते हुए भी ना जाने क्यो इन बेटियों को समाज पर बोझसमझा जाता है लड़को की अपेक्षा इन्हे जादा तवज्जो भी नही मिलता है और न ही स्वतंत्रता इसके बावजूद भ्रूण हत्या जैसे भयानक अपराध को भी आज के वर्तमान माँ -बाप ने अपना लिया है न इनको उचित शिक्षाऔर ना ही लड़को कीअपेक्षा उचित भोजन की ब्यवस्था होती है। उनकी आजादी पर बिल्कुल पाबंदी होती है जो कुछ बेटियाँ आजादी का अनुभव करती भी है तो उन्हें इस क्रूर समाजके हवश का शिकार होना पड़ता है कितनी बेटियाँ हर साल इस समाज से तंग आकर आत्म हत्या करने पर मजबूर होती है । कितनो को मार दिया जाता है जिसमे हमारे देश में एक लाख जनसख्या पर १०.६ % लोग मरते है लेकिन वहीं पर देश में हर एक घंटे में एक महिला को दहेज़ के लिए मार दिया जाता है .यदि इसी तरह चलता रहा तो एक दिनes इनका अस्तित्तव खतरे में पड़ जाएगा । यह समाज क्यो नही इस तरफ ध्यान दे रहा है ।
किसी की सर की ताज तो किसी के चरणों की धूल होती हैं
खिलखिलाती इनकी बोली koyal ki kook hotin hai
ना जाने क्यों फिर भी हर किसी के लिए शूल होती है
मासूम फूलो की तरह कोमल चेहरा ,मोम की तरह कोमल हिरदय बर्फ की तरह शीतल और झील जैसी आखों के होते हुए भी ना जाने क्यो इन बेटियों को समाज पर बोझसमझा जाता है लड़को की अपेक्षा इन्हे जादा तवज्जो भी नही मिलता है और न ही स्वतंत्रता इसके बावजूद भ्रूण हत्या जैसे भयानक अपराध को भी आज के वर्तमान माँ -बाप ने अपना लिया है न इनको उचित शिक्षाऔर ना ही लड़को कीअपेक्षा उचित भोजन की ब्यवस्था होती है। उनकी आजादी पर बिल्कुल पाबंदी होती है जो कुछ बेटियाँ आजादी का अनुभव करती भी है तो उन्हें इस क्रूर समाजके हवश का शिकार होना पड़ता है कितनी बेटियाँ हर साल इस समाज से तंग आकर आत्म हत्या करने पर मजबूर होती है । कितनो को मार दिया जाता है जिसमे हमारे देश में एक लाख जनसख्या पर १०.६ % लोग मरते है लेकिन वहीं पर देश में हर एक घंटे में एक महिला को दहेज़ के लिए मार दिया जाता है .यदि इसी तरह चलता रहा तो एक दिनes इनका अस्तित्तव खतरे में पड़ जाएगा । यह समाज क्यो नही इस तरफ ध्यान दे रहा है ।
Saturday, April 4, 2009
कड़कती धुप और तेज तूफान के चलने से यह फूल जैसा चेहरा इस प्रकार से शुख जाता है कि मानो कोई खिला हुआ गुलाब को तोड़ कर फेक दिया हो जी हाँ यह गर्मी जो हर किसी को बेचैन कर देती उसके गले को सुखा देती हैतो उस समय याद आताहै कि पानी है तो जिंदगानी है । लेकिन इस जिंदगानी को जिस प्रकार से गन्दा किया जा रहा है यह देश के लिए ही नही हर व्यक्ति के लिए आभिश्राप बन कर सामने आ रहा है नदियों में बहता गंदा पानी,और भूमि का घटता जलअस्तर इस बात का सूचक है कि हम लोग ही इसकें जिम्मेदार है। इसी का नतीजा है की जहाँ देश पेट्रोल डीजल की समस्या से जूझ रहा है लेकीन अब पानी की समस्या भी एक बिकट रूप धारण कर किया है । अब पानी पेट्रोल
की तरह पैक कर के बेचा जा रहा है .इसके तरफ किसी का ध्यान नहीं जा रहा है । जहाँ सरकार तालाबो पोखरों
की सफाई करवा रही है वहीं लोग इसे प्रदूषित कर रहें है .इसके लिए जिम्मेदार कौन हम या सरकार .
की तरह पैक कर के बेचा जा रहा है .इसके तरफ किसी का ध्यान नहीं जा रहा है । जहाँ सरकार तालाबो पोखरों
की सफाई करवा रही है वहीं लोग इसे प्रदूषित कर रहें है .इसके लिए जिम्मेदार कौन हम या सरकार .
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