कड़कती धुप और तेज तूफान के चलने से यह फूल जैसा चेहरा इस प्रकार से शुख जाता है कि मानो कोई खिला हुआ गुलाब को तोड़ कर फेक दिया हो जी हाँ यह गर्मी जो हर किसी को बेचैन कर देती उसके गले को सुखा देती हैतो उस समय याद आताहै कि पानी है तो जिंदगानी है । लेकिन इस जिंदगानी को जिस प्रकार से गन्दा किया जा रहा है यह देश के लिए ही नही हर व्यक्ति के लिए आभिश्राप बन कर सामने आ रहा है नदियों में बहता गंदा पानी,और भूमि का घटता जलअस्तर इस बात का सूचक है कि हम लोग ही इसकें जिम्मेदार है। इसी का नतीजा है की जहाँ देश पेट्रोल डीजल की समस्या से जूझ रहा है लेकीन अब पानी की समस्या भी एक बिकट रूप धारण कर किया है । अब पानी पेट्रोल
की तरह पैक कर के बेचा जा रहा है .इसके तरफ किसी का ध्यान नहीं जा रहा है । जहाँ सरकार तालाबो पोखरों
की सफाई करवा रही है वहीं लोग इसे प्रदूषित कर रहें है .इसके लिए जिम्मेदार कौन हम या सरकार .
Saturday, April 4, 2009
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
pani ke baare me bhi koi soch reha hai jaan kar achcha laga
ReplyDeletehme khud jagrook hone ki aawashyakta hai .
ReplyDelete