Monday, April 21, 2014

हमको किसी से कोई शिकवा नही रहा किसी के किसी बात का कोई गिला नही रहा ये तो वक्त का था असर जो जुबा फिसल गया वर्ना मिरी फसाद का कोई मसला नही रहा। ..... कोई आज मेरी बैचैनी को समझे मेरे दिल की धड़कन को थोडा समझे कैसी ये उलझन भरा मेरे मन में मेरे पास आ कर जरा मुझको समझे दिल की वो बातो को दिल से वो समझे मेरी हर ख़ुशी को अपना वो समझ रातो को नींदों और ख्वाबो में आये मेरी जिंदगी को अपना वो समझे आँखों की आंसू की कीमत को समझे लवो की हंसी को अमानत वो समझे पग पग वो चल कर मेरे साथ एक पल मेरे इश्क की वो इनायत को समझे ।।।कोई आज मेरी बैचेनी को समझे।.....

Saturday, April 19, 2014

gujare lamho ko chhodh kr..naya yehsas karne do..jindagi anmol h teri.ise tum pyar karne dona bandho kisi bandhan meise ashama me udane dofalk ke chand taro ko.thoda slam karne do.chura lo hasi chama ki .laga ke pankh bhavare ki.bane ke sej foolo kiise aaram karne do.....jindagi anmol h teri...ise tum pyar karne do...
माँ के आंचल में छुप करबचपन अपना खेला है।अंगुली पकड़ कर मैया कीपग पग चलना सिखा है।डाट पड़े जब मैया कीआँखों में आंसू आते थेरोते हुए तब मैया कीगोदी में सो जाते थे।भूख लगे जब मैया हमकोदूध पिलाने आती थीचन्दा माँ -माँ की लोरी तबमुझको खूब सुनाती थीजब मैं पढने जाने लगतागले मुझे लगाती थीबच्चो संग झगड़ो पर मुझकोखूब डाट पिलाती थीबड़ा हुआ जब मुड कर देखाबचपन पीछे छुट पडामाँ के हाथ का दूध का प्यालामहंगाई ने लूट लिया।।!!!! ज्ञानेश!!!!