Saturday, April 19, 2014

माँ के आंचल में छुप करबचपन अपना खेला है।अंगुली पकड़ कर मैया कीपग पग चलना सिखा है।डाट पड़े जब मैया कीआँखों में आंसू आते थेरोते हुए तब मैया कीगोदी में सो जाते थे।भूख लगे जब मैया हमकोदूध पिलाने आती थीचन्दा माँ -माँ की लोरी तबमुझको खूब सुनाती थीजब मैं पढने जाने लगतागले मुझे लगाती थीबच्चो संग झगड़ो पर मुझकोखूब डाट पिलाती थीबड़ा हुआ जब मुड कर देखाबचपन पीछे छुट पडामाँ के हाथ का दूध का प्यालामहंगाई ने लूट लिया।।!!!! ज्ञानेश!!!!

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