Monday, December 14, 2009

dosto kafi vakt ke bad aaj maine apane blog ...gyanesh-hamtum ko fir se chalane ke liye prerit hua hu ..mai kud se ye ummid karta hu ki .is bar aap sabhi logo ko kuchh achhi rachanaye de saku...

सरकस की वो रात याद है
जिने पर की वो बात याद है ।
साये तले नीले आसमा के
वो तेरी पहली मुलाकात याद है ।
जब आए थे तुम मेरे शहर में
अनजान थे इन गलियों से
तब एक साथी की तलाश थी तुम्हे
मुझे वो तुम्हारी मुलाकात याद है ।
जीने के लिए दो वक्त की रोटी
की दरकार थी तुम्हे
तब रोते हुए तेरे मासूम आँखों की
वो बात मुझे याद है ।
जो चाहते थे किसी को अपना बनाना
तेरी आँखों की वो चाहत मुझे याद है
सरकस की वो बात मुझे याद है ।
तेरे ऊपर थी दुनिया की नजर
लेकिन तेरी नजरो की सरारत मुझे याद है ।
तू तो थी एकदम मासूम लेकिन
इन गलियों में तेरी बेवसी को
लुटते देखना मुझे याद है ।..................

Tuesday, December 8, 2009

वक्त बदला समय बदला लेकिन इसके बावजूद भी देश में नही बदली तो गरीबो की गरीबी इसके लिए कौन जिमेदार है सरकार या वो ख़ुद। लेकिन हमें तो नही लगता की देश के इन राजनीतिक चोरों से किसी गरीबो की भलाई हो सकती है । क्योंकि यह तो ख़ुद ही इतने बड़े गरीब बन बैठे है की उन्हें दूसरों का ख्याल ही नही है ।

Friday, May 22, 2009

अपना रिश्ता

ये दोस्त का रिश्ता बड़ा ही प्यारा है ।
जैसे खिला हुआ गुलिस्ता हमारा है
महक फूलों की तरह
चहक चिडियों की तरह
गुजते गुंजन की तरह
यह रिश्ता हमारा है दोस्ती

दोस्ती का रिश्ता बड़ा ही प्यारा है
दुःख दर्द में भी साथ चलना
गेरों के बिच में अपना बनाये रखना
रखना विश्वाश मेरा , हमेसा अपने दिल में
ग़मों के पतझड़ में ख़ुद को बनाये रखना
रखना विश्वाश ख़ुद का ख़ुद को बनाये रखना
अपना ये रिश्ता खुदा से भी प्यारा है ।
दोस्ती का रिश्ता बड़ा ही प्यारा है
आगन में साथ चलना
राहों में साथ चलना
जिन्दगी के सफर में भी साथ साथ चलना
दूरियां बहुत हों पर दिल के पास रहना
खुशियों से दामन ख़ुद का सजाये रखना
हँसाना और मुस्कुराना और एक साथ रहना
वादा हमेशा मुझसे बस इतना ही करना
बस दोस्ती का रिश्ता अपना बनाये रखना

Wednesday, May 20, 2009

वासना में bahte प्रेमी

मोहब्बत और जंग में सब कुछ जायज होता है । यह शब्द हर प्यार करने वाले के मुख सेसूनाजाता है लिकिन क्या हर प्रेमी येसा कर सकता है तो जबाब होगा नहीं क्यो की आज तो प्रेम का मतलब ही वासना शारीरिक भूखऔर आकर्षण है । हर कोई आपनी प्रेमिका के सामने लैला मजनू हीर राँझा और साथ ही साथ मीरा और कृष्ण की उचाई तक कूद को पहुचने की झूठी कोशिश करते है । लेलिन वासना की भूख मिटते ही व इस दुनिया के सामने मुँह चुरा कर चोरो की तरह भाग जाते है .और लुटी इज्जत के साथ व लड़की जो भावनावों में बह कर आपना सब कुछ गवां देतीहै अब वह ठोकरे या समाज के ताने सुनने पर मजबूर हो जाती है कभी कभी इस प्यार के जहासे में आकर वैश्य प्रब्रिती के दल दल में फस जाती है हर वर्ष कितनी आत्म हत्या और कितनी मर दी जाती है ।

लेकिन इसके साथ साथ आज बदलते परिवेश में कुछ लड़कियां लड़कों को अपने झूठे प्यार में फसा कर उनके पैसे और शान शौकत का बखूबी मजा लोटती है वह अपनी शौक को पूरा करने ले लिए किसी के साथ किसी भी had तक ja सकती है .लेकिन आज भी koochh जो jamane से तंग आकर एक साथ कूद खुशी कर लेते है इनके सच्चे प्यार को मरने के bad भी मीडिया और समाज में badnami ही नसीब होता है । लेकिन प्रेम में koorban ये प्रेमी और प्रेमिका उन चोरो से अच्छे है जो joothe प्यार का dikhawa कर के hajaron मासूम की jindgi lotte है क्या वासना ही प्यार है दिल के रिश्ते की कोई ahmiyt nhin जिस देश में प्यार को पूजा का नाम दिया जाता है इसके bad भी लोग १४३ के sidhe rup में फस गए है तो आप ख़ुद ही समझ सकते है की की यह प्यार कितने दिनों तक चल सकता है ।

Tuesday, May 12, 2009

सवेरा

होत सवेरा सूरज उगता
अँधेरा हो जाता दूर ।
चिडिया चहक -चहक कर जाती
दाना चुगने कोंसो दूर ।
सूरज की किरणे पड़ने पर
जल में खिलते कमल के फूल ।
भोंरे फूलो के रस को ले कर
उड़ जाते मस्त गगन में दूर ।
फूलों की कलियों पर जाकर
लेती मस्त सुगंदित मकरंद को चूस ।
पवन फूलों के इस सुगंध को
विखेरता मस्त अम्बर में दूर सुदूर ।
हिम के आँचल से निकल कर
नदियाँ बहती जाती दूर सुदूर ।
झरनोंके झर झर गुंजन से
तन मन जाए सिहर सिहर ।
जीवन के इस कोमल पथ पर
बदते जाओ बीर तुम दूर ।

Tuesday, April 21, 2009

aaj ke guru ji

और शिक्षा दोनों एक दुसरे से इस प्रकार से जुड़े है जिस प्रकार से आत्मा और शरीर इतना कोमल सम्बन्ध होते हुए भी शिक्षक और शिक्षा का अर्थ बदलता जा रहा है । शिक्षक आज शिक्षक नही रहे और शिक्षा का मतलब ज्ञान नही रहा इस बदलाव में बदलना स्वाभाविक है । यहीं कारन है की पैसे के लालच ने शिक्षक को भी b लालची दिया है । स्वार्थ ने आज के शिक्षक को हद तक गिरा कर रख दिया है । कालेजो, विद्यालयों एवम में आज शिक्षक केवल समय काटने के लिए जाता है। और जाने के बाद सिर्फ़ राजनीती करता है , वह भी बच्चो के उपर अध्यापको के उपर और लड़कियों के ऊपर आज के शिक्षक क्लास के बच्चो में फ़ुट डालो राज्य करो की रणनीत अपना लिया है , लेकिन इसके साथ-साथ लड़को की अपेक्षा लड़कियों से ज्यादा प्रभावित दीखता है ,यही karan है की ,शिष्या और गुरु जी के बीच प्रेम सम्बन्ध भी तेजी के साथ विकसित हुआ है , है नवयुवक शिक्षक लड़कियों की खूबसूरती में इतने kho gaye hai की, ये भी पूछने से नही हिचकते की तुम्हारी पसंद क्या है इससे भी बदतर स्थिति हो गई है की , छोटे-छोटे कामो के लिए लड़कियों को अपने पास बुला लेते है ।

Sunday, April 5, 2009

ये बेटियाँ

ये बेटियाँ तो चमन की फूल होती है
किसी की सर की ताज तो किसी के चरणों की धूल होती हैं
खिलखिलाती इनकी बोली koyal ki kook hotin hai
ना जाने क्यों फिर भी हर किसी के लिए शूल होती है
मासूम फूलो की तरह कोमल चेहरा ,मोम की तरह कोमल हिरदय र्फ की तरह शीतल और झील जैसी आखों के होते हुए भी ना जाने क्यो इन बेटियों को समाज पर बोझसमझा जाता है लड़को की अपेक्षा इन्हे जादा तवज्जो भी नही मिलता है और न ही स्वतंत्रता इसके बावजूद भ्रूण हत्या जैसे भयानक अपराध को भी आज के वर्तमान माँ -बाप ने अपना लिया है न इनको उचित शिक्षाऔर ना ही लड़को कीअपेक्षा उचित भोजन की ब्यवस्था होती है। उनकी आजादी पर बिल्कुल पाबंदी होती है जो कुछ बेटियाँ आजादी का अनुभव करती भी है तो उन्हें इस क्रूर समाजके हवश का शिकार होना पड़ता है कितनी बेटियाँ हर साल इस समाज से तंग आकर आत्म हत्या करने पर मजबूर होती है । कितनो को मार दिया जाता है जिसमे हमारे देश में एक लाख जनसख्या पर १०.६ % लोग मरते है लेकिन वहीं पर देश में हर एक घंटे में एक महिला को दहेज़ के लिए मार दिया जाता है .यदि इसी तरह चलता रहा तो एक दिनes इनका अस्तित्तव खतरे में पड़ जाएगा । यह समाज क्यो नही इस तरफ ध्यान दे रहा है ।







Saturday, April 4, 2009

कड़कती धुप और तेज तूफान के चलने से यह फूल जैसा चेहरा इस प्रकार से शुख जाता है कि मानो कोई खिला हुआ गुलाब को तोड़ कर फेक दिया हो जी हाँ यह गर्मी जो हर किसी को बेचैन कर देती उसके गले को सुखा देती हैतो उस समय याद आताहै कि पानी है तो जिंदगानी है । लेकिन इस जिंदगानी को जिस प्रकार से गन्दा किया जा रहा है यह देश के लिए ही नही हर व्यक्ति के लिए आभिश्राप बन कर सामने आ रहा है नदियों में बहता गंदा पानी,और भूमि का घटता जलअस्तर इस बात का सूचक है कि हम लोग ही इसकें जिम्मेदार है। इसी का नतीजा है की जहाँ देश पेट्रोल डीजल की समस्या से जूझ रहा है लेकीन अब पानी की समस्या भी एक बिकट रूप धारण कर किया है । अब पानी पेट्रोल
की तरह पैक कर के बेचा जा रहा है .इसके तरफ किसी का ध्यान नहीं जा रहा है । जहाँ सरकार तालाबो पोखरों
की सफाई करवा रही है वहीं लोग इसे प्रदूषित कर रहें है .इसके लिए जिम्मेदार कौन हम या सरकार .